Sunday 10 March 2013

खुद से बातें


5:41pm
"गुजिश्ता वक़्त के दामन में कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं कि जिनसे निजात पाने की हर कोशिश..दर्द की खाई मे गहरे, और गहरे उतरते जाने की कैफियत से रूबरू होना है... भरोसे के टूटने की खामोश आवाज ताज़िन्दगी तीखे शोर की तरह दिमाग़ में गूंजती रहती है.. अपनों से छले जाने का दंश सीने में फांस की तरह दरकता रहता है.. और उस पर मुस्कुराने की सजा.. इसी को तो सब समझदार होना कहते हैं.. पर अगर कोई नासमझ ही निकले तो ?? ऐसे लोगों का क्या?? ज़िन्दगी के दामन में इन नामुरादों के लिए भी कुछ तो होगा?? होना चाहिए ना??"

Wednesday 27 February 2013

उदास लम्हा


"कभी कभी ऐसा क्यों होता है कि दुनिया भरी भरी और मन खाली खाली सा होता है..खुश होने की हजार वजहे होती हैं दिल बेवजह उदास कोने खोजने लगता है..जब कोई भूला ही न हो,पर कोई याद भी सताती हो..होंठों पर मुस्कुराहट इतरा रही हो और आंखे भींग जाने का बहाना तलाश कर रही हों..
शायद उदासियों के मौसम बिन बुलाये आ जाते हैं..जैसे कोई करीबी दोस्त आ जाये बिना किसी खबर के बेवजह ही...."



Monday 25 February 2013

एकान्तिक प्रलाप


"जब निराशा काले बादलों की तरह उम्मीद के सूरज को छुपा लेती है..
जब लगने लगता है कि कोशिशे रंग नही ला रही..रिश्तों मे गर्माहट खोती जा रही है,सच फरेब के पर्दों में छुपा हुआ है..हौसला डर की गिरफ्त मे है..प्यास शाश्वत है और पानी सिर्फ मरीचिका..तो अक्सर सोचती हूं कि अपनी ताक़त पर भरोसा होना ही असली ताक़त है..कि जब हम अकेले होते हैं तभी तो अपने साथ होते हैं...

Sunday 24 February 2013

दोपहर किताब और तनहाई


खूबसूरत किरदारों के किस्सों से भरी ज़रा पुरानी सी किताब के झक्क सफेद पन्नों पर सर्दियों की दोपहर की तीखी धूप गिरती है..कमज़ोर नज़र वाली मेरी आँखे ऐसे चौंधिया जाती हैं,जैसे किसी बचपन के दोस्त ने जानबूझ कर मुस्कुराते हुए धूप में शीशा मेरी आँखों की जानिब चमकाया हो..हथेलियों ने जाने कब दुपट्टा आँचल की माफिक माथे पर खिसका दिया है..बेसाख्ता बुआ याद आती हैं,जिन्हे गर्मियाँ इस लिए भाती थी कि बहुओं के सिर पर आँचल आ जाते थे,चाहे धूप से बचने के लिए ही सही..किताब के दाहिनी तरफ वाले पन्ने पर मेरी परछाई है,जैसे किसी किरदार का अक्स हो..बायां पन्ना अब भी रोशन है साफ शफ्फाफ.. हर जिंदगी किसी कहानी का किरदार ही तो है.किसी रोज पढेगा कोई,तो क्या जान पाएगा इस पल को..इस चमक को..पीठ पर टिके इस गुनगुने एहसास को..धूप की तुर्शी और आँचल की छाँव के साथ को....